Friday, December 6, 2013

इतिहास दुहराया जाएगा।

हर मां-बाप दिलोजान से अपने बच्चों को चाहते है.. आप भी अपने बच्चों को हद तक चाहते होंगे.. हद तक उनकी जिद पूरी करते हुए गर्व महसूस करते होंगे... यह सिर्फ आप ही नहीं.. वरन हर मां बाप अपने बच्चों की हर इच्छा को अपनी हैसियत से पूरा करते है। फिर अंतिम स्थिति में अपनी जान की ताकत लगाकर भी उसे खुश रखने का प्रयास करते है।

इतिहास तो दुहराया ही जाएगा यह तय है  इसलिए अपने भविष्य की चिंता जरूर करें और अपना वर्तमान सुधार  लेवें। क्योंकि जैसा आप अपने मां बाप के लिए कर रहे है,   वैसा ही आपका प्यारा सा जिगर का टुकड़ा आपके साथ जरूर करेगा।

हर मां बाप बच्चों के लिए जैसा सोचते है.. उसे पूरा करने के लिए जिंदगी लगा देते है... परंतु जब बच्चों की बारी आती है अपने मां बाप की देखरेख करने की तो बच्चे अपना दिमाग चलाने लगते है.. तो कभी पत्नी की बातों में आकर तो कभी अज्ञानवश अपना दिमाग लगा कर अपने ही मांबाप की देखरेख...करने में कोताही बरतने लगता है। ऐसा अक्सर देखने में आता हैं
जैसें एक पिता के कई बच्चे है... उनमें एक एक उनके साथ रहकर उनकी सेवा सुसुश्रा करता है और यदि उस मां बाप की एक से ज्यादा  संतान है तो क्या बाकी सब जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएगे। नहीं... कभी नहीं
क्या उनकी कोई कोई जवाबदारी नहीं क्या उन्हें अपनी मां-बाप के लिए समय नहीं निकालना चाहिए।  जैसा वे अपने मां बाप के लिए कर रहे है।
वे वेसा ही अपने बच्चों से पाएंगे  सोचिए तो कैसा लगेगा जब उनके जिगर का टुकड़ा उनका लाडला यही हरकत उनके साथ करेगा।

मैंने तो उन मां-बाप बड़ी नजदीक से देखा है  जो अपने बच्चों की याद में धार धार आसूंओं से अपना चेहरा भिगो लेते है। वे अपने बच्चों की शकल देखने को तरस जाते है... मैने एक एैसी एक मां देखी है  जो अपने बच्चे की सिर्फ शक्ल देखने के लिए उसकी दुकान के आस पास  धूमती रहती है इस आस में कि एक बार तो बच्चे की शक्ल का दीदार हो जाए ।  एक नहीं दो नहीं तीन तीन चक्कर उसे लगाते हुए मैंने बड़ी नजदीक से देखा है।
जबकि उसका बेटा साधन सम्पन्न है और आस पास ही रहता है।
ईष्वर की चेतावनी है ऐसे बच्चों को जो अपने मां बाप की कदर नहीं करते.
वो दिन दूर नहीं जब वे अपने बेटे से वहीं पाएगे जो वे अपने मां बाप के लिए कर रहे है।
कई बच्चें एक ही मोहल्ले में रहने के बावजूद वे अपने माता पिता से मिलने के लिए समय नही निकाल पाते ... और जब समय होता है तो अपने बच्चों के साथ या अपनी पत्नी के साथ आउटिंग पर चले जाते है। क्या यह उचित है।
उचित हो या अनुचित... इतिहास तो दोहराता ही है...
तैयार रहे अपने भविष्य के लिए...
क्यों कि जो जैसा बोएगा .. वैसा ही तो काटेगा।

-भागीरथी अग्रवाल
समाज सेवक